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कड़ा-मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मण

                                                                                           ✍️ अजय कुमार मिश्र 

                          उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में गंगा तट पर एक तरफ कड़ा और दूसरी तरफ मानिकपुर नाम के दो स्थान हैं जो वर्तमान में क्रमशः इलाहाबाद व प्रतापगढ़ जिलों में पड़ता है। यह भूभाग सम्मिलित रूप से कड़ा – मानिकपुर कहलाता है। इस क्षेत्र में बहुतायत में जिझौतिया ब्राह्मण रहते थे जो काफी समृद्ध थे , लेकिन वर्तमान में कड़ा और मानिकपुर में जिझौतिया ब्राह्मण परिवार शायद ही निवासरत हों। कुरुक्षेत्र (दिल्ली के आसपास) में रहने वाले जिझौतिया ब्राह्मण परिवार दिल्ली से कड़ा – मानिकपुर में आकर बस गए थे। ऐसे जिझौतिया ब्राह्मण परिवार का संबंध  दिल्ली से ही बना रहा। ये बुन्देलखण्ड के संपर्क में कभी नहीं रहे। यही कारण है कि इनमें और बुंदेलखंडी जिझौतिया ब्राह्मणों में आज भी एकरूपता नहीं है।

                            कड़ा – मानिकपुर के  जिझौतिया ब्राह्मणों को तत्कालीन मुस्लिम शासकों द्वारा काफी परेशान किया गया। मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को छब्बीसवीं वार के युद्ध में 1192 ई० में हरा दिया। दिल्ली को अपने अधिकार में लेने के बाद वह अपने सेनापति कुतबुद्दीन ऐबक के साथ वाराणसी की ओर चल पड़ा । 1194 ई० में जब वह कड़ा- मानिकपुर पहुँचा तो वहाँ बसे शांतिप्रिय समृद्ध लोगों पर विशेषतः जिझौतिया ब्राह्मणों पर संकट की घड़ी आ गई। मोहम्मद गौरी ने कुतबुद्दीन ऐबक को वहाँ का गवर्नर नियुक्त किया और दिल्ली वापस लौट गया। ऐबक को स्वयं और अपनी फ़ौज को वहाँ बसाना था। साधन सम्पन्न जिझौतिया ब्राह्मणों के धनधान्य, भूमि-भवन पर कब्जा करने के लिए उसने 1194 ई० में उनपर आक्रमण कर दिया। जिझौतिया ब्राह्मणों के पूर्वजों ने निर्णय लिया कि  इस स्थिति में यह स्थान छोड़ देना ही उचित होगा और वे लोग  अपने धर्म-ग्रन्थों, संस्कृति और सन्तति की सुरक्षा के लिए वहाँ से समय-समय पर   विंध्याचल पर्वत की ओर नर्मदा अंचल में प्रवास और निवास करने लगे। वे पहले भोपाल और फिर वहाँ से होशंगाबाद में जा बसे। इस तरह होशंगाबाद जिला भी जिझौतिया ब्राह्मणों का उपनिवेश बन गया।  

                      नर्मदा अंचल में पूर्व से रह रहे दूसरे जिझौतिया ब्राह्मणों से अपनी पहचान अलग बनाये रखने हेतु इन्होंने अपने नाम के आगे कड़ा – माणिकपुरी शब्द जोड़ लिया और कड़ा – मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मण कहलाये। वहाँ उन्होंने स्वयं को पुनः सुसंगठित किया। कड़ा – मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मणों  का परिवार कुलदेवी भगवती की पूजा करते हैं।

{⚜️}  कड़ा मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मणों के आस्पद (उपनाम) निम्न प्रकार से हैं –

दुबे, द्विवेदी, तिवारी, त्रिवेदी, परसाई, पाण्डेय ,दीवान,नायक, वशिष्ठ,पटेल,भट्ट, त्रिवेदी, दीक्षित, शुक्ला, श्रोती, भट्ट, चौबे, ज्योतिषी।

{⚜️} कड़ा – मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मणों के आस्पद, गोत्र और प्रवर :-

आस्पद         गोत्र                             प्रवर 

दुबे              कण्व                कण्वोदान (कण्व,उदान ), समान,                               

                                           — त्रिप्रवर 

दुबे               कश्यप             कश्यप, असित, देवल       

दुबे               कौशिल           आदित्य, देवरात, कौशिल

दुबे               वशिष्ठ              वशिष्ठ, इन्द्रप्रमद, भारद्वसित

दुबे               पारासर            पारासर, वशिष्ठ, सांकृत

दुबे (नायक) कौशल              विश्वमित्र, अघमर्षण, मधुछन्दस

तिवारी           गौतम              आंगिरस, बार्हस्पत्य, भारद्वाज, 

                                           गौतम ,अत्रि

शुक्ल           शाण्डिल्य           शांडिल्य, असित, देवल

दीक्षित          मांडव्य               मांडव्य, मांडुकेय, विश्वामित्र

चौबे              गर्ग                   गर्ग, आंगिरस, सैन्यगर्ग

ज्योतिषी        काश्यप              काश्यप, आवन्सार, नैधृव

श्रोती              कौशिक            कौशिक, अघमर्षण, विश्वामित्र

श्रोती                वशिष्ठ             वशिष्ठ, इन्द्रप्रमद, भारद्वसित

{⚜️} कड़ा – मानिकपुरी जिझौतिया ब्राह्मण गोत्रावली 

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आस्पद:- दीवान 

गोत्र:- शाण्डिल्य

प्रवर:-शाण्डिल्य, असित, देवल

वेद:- सामवेद

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आस्पद:- दीवान

गोत्र:- माण्डव्य

प्रवर:- माण्डव्य, माण्डुकेय, विश्वामित्र

वेद:-  यजुर्वेद

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आस्पद:- पटेल

गोत्र:- कश्यप

प्रवर:- कश्यप,असित,देवल

वेद:- सामवेद

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आस्पद:- परसाई

गोत्र:- वशिष्ठ

प्रवर:- वशिष्ठ,इन्द्रप्रमद,भारदृषित

वेद:- यजुर्वेद

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आस्पद:- परसाई

गोत्र:- कौशल 

प्रवर:-कौशल,मधुच्छन्द,अघमर्षण

वेद:- यजुर्वेद

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आस्पद:- परसाई

गोत्र:- पाराशर

प्रवर:-पाराशर,वशिष्ठ,सांकृत

वेद:- यजुर्वेद

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