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जिझौतिया ब्राह्मण का नामकरण

✍️ अजय कु० मिश्र

 प्राचीनकाल में प्रत्येक ब्राह्मण को अपना वेद, वेदांग सहित पढ़ना अनिवार्य था। यजुर्वेद का उपवेद धनुर्वेद (शस्त्र विद्या) है, अतः प्रत्येक यजुर्वेदी ब्राह्मण को धनुर्विद्या सीखनी पड़ती थी। उस समय यज्ञ रक्षा का भार ब्राह्मणों पर ही था। ब्राह्मण यज्ञ की रक्षा दो प्रकार से करते थे :- पहला – वेदाध्ययन करना, कर्मकांड व यज्ञ करवाना, दूसरा – शास्त्रास्त्र विद्या का अध्ययन कर यज्ञ विरोधियों का दमन करना। उस समय यज्ञ की बड़ी महत्ता थी। लोककल्याणार्थ यज्ञ का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर होता था। 

ऐसी मान्यता थी कि –

 अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।

 यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद् भवः।। 

    ( श्रीमद्भगवद्गीता :- अध्याय – 3 ,श्लोक  – 14 ) 

अर्थात् – सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है |

  समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्। आस्मिन् हव्या जुहोतन।। 

     ( यजुर्वेद – अध्याय – 3 , मंत्र – 1) 

अर्थात् – हे मनुष्यो ! तुम लोग वायु, औषधि और वर्षा जल की शुद्धि से सबके उपकार के अर्थ घृतादि शुद्ध वस्तुओं और समिधा अर्थात आम्र वा ढाक आदि काष्ठों  से अतिथि रूप अग्नि को नित्य प्रकाशमान करो।  फिर  उस अग्नि में होम करने योग्य पुष्ट, मधुर ,सुगन्धित अर्थात दुग्ध ,घृत, शर्करा ,गुड़ ,केशर ,कस्तूरी आदि और रोगनाशक जो सोमलता आदि सब प्रकार से शुद्ध द्रव्य हैं ,उनका अच्छी प्रकार नित्य अग्निहोत्र करके सबका उपकार करो। 

                         वर्तमान में आज भी जिझौतिया ब्राह्मणों में यज्ञ की महत्ता कम नहीं हुई है; हाँ, बड़े स्तर पर यज्ञ का आयोजन कम ही हो पाता है। विशेष परिस्थितियों को छोड़कर आज भी प्रत्येक जिझौतिया ब्राह्मण के घर पर  यज्ञवेदी  है और प्रत्येक शुभ अवसर पर लोग पूजा और हवन करते हैं। यह सब जिझौतिया ब्राह्मणों की यज्ञ पर श्रद्धा और यज्ञ से उनके अभिन्न संबंध का परिचायक है।

                         बुन्देलखण्ड में जिझौतिया ब्राह्मणों के घर-घर में वेदों का होना भी हमारा यज्ञों पर श्रद्धा और अभिन्न संबंध स्थापित करता है और इस सिद्धान्त की पुष्टि करता है कि हम जुहोतयः (यज्ञकर्ता और यज्ञ रक्षक) के वंशधर हैं। यहाँ कुछ शब्दों के अर्थ जानना आवश्यक है, जैसे –

  1. जुहोति अर्थात् यज्ञ।
  2. यजुर्हुतिः या जुहोतिः जिस धराधाम पर यजुर्वेद की ऋचाओं से हवन किया जाय उसे यजुर्हुतिः या जुहोतिः कहते हैं।
  3. जुहोतयः अर्थात् यज्ञकर्ता और रक्षक।

ये जुहोतयः यानि जुहोति (यज्ञ) के करने-कराने वाले श्रेष्ठ याज्ञिक ब्राह्मण जो जुहोति देश में निवास करते थे जुहोतिया (जुझौतिया / जिझौतिया) ब्राह्मण के नाम से स्वयं प्रसिद्ध हुए। जुहोतिया ब्राह्मण आदि ब्राह्मण हैं क्योंकि इनमें और अन्य ब्राह्मणों में प्रवर समता नहीं है। जिझौतिया ब्राह्मण (जुहोतिया या जुझौतिया ब्राह्मण ) वृहद रूप में जुहोति (यज्ञ) कार्य को सम्पन्न कराने के लिए निमंत्रित किए जाने वाले कुशल याज्ञिक ब्राह्मण के रूप में विख्यात हुए।


jijhautiya-brahmin