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बुंदेला राजा जुझार सिंह से संबंधित मनगढ़ंत कहानी - एक षडयंत्र

                                                                                                                  ✍️ अजय कुमार मिश्र

          बुन्देलखण्ड में कुछ लोगों में बुंदेला राजा जुझार सिंह से संबंधित एक मनगढ़ंत कहानी को लेकर भ्रामक जानकारी व्याप्त है जबकि वास्तविकता ये है कि यह एक षडयंत्र के तहत किए गए दुष्प्रचार का परिणाम है। उक्त मनगढ़ंत कहानी में कहा गया है कि बुंदेला राजा जुझार सिंह ने एक यज्ञ कराने के लिए कन्नौज से कुछ कान्यकुब्ज ब्राह्मण बुलवाए थे। जुझार सिंह का यज्ञ कराने और उनके द्वारा पूजित होने के कारण वे ब्राह्मण जुझौतिया कहलाए। कहानी के अनुसार उस यज्ञ के पूर्व जुझौतिया के पूर्वज कान्यकुब्ज ब्राह्मण ही थे।

         विदित है कि यजुर्वेदीय कर्मकांड के लब्धकीर्ति प्रबुद्ध ब्राह्मणों की बाहुल्यता के कारण प्रदेश जुहौति नाम से प्रसिद्ध हुआ और जुहौति प्रदेश के निवासी जुहौतिया कहलाए। अर्थात जितने प्राचीन वेद हैं उतने ही प्राचीन जुहौतिया ( जिझौतिया ) ब्राह्मण। यह एक स्वतंत्र ब्राह्मण है, यह किसी की शाखा नहीं है। अब ऐसी भ्रामक व मनगढ़ंत जानकारी फैलाने वालों के लिए कुछ सवाल हैं –

        1. राजा जुझार सिंह बुंदेला का शासन काल क्या था ?

        2. राजा जुझार सिंह के द्वारा यज्ञ कराए जाने से संबंधित कोई प्रमाण ? 

                                इतिहास गवाह है कि ओरछा के राजा वीरसिंह देव ( शासनकाल :- 1605 ई० – 1627 ई०) के ज्येष्ठ पुत्र जुझार सिंह ने सन् 1627 ई० से 1634 ई० तक  ओरछा पर शासन किया था। 

            पुस्तक ” चन्देल और उनका राजत्व-काल “ में लेखक  केशव चन्द्र मिश्र ने गिद्धौर राज्य का इतिहास अंतर्गत लिखा है कि तेरहवीं सदी में चन्देल शासकों ने अंग क्षेत्र में जो राज्य स्थापित किया वह गृध्रकूट (आधुनिक गिद्धौर, बिहार ) था। इसी पुस्तक में लेखक ने कालंजर से गिद्धौर शीर्षक अंतर्गत लिखा है कि 1266 ई० में मुस्लिम शासक बलबन ने विद्रोहियों को ऐसे क्रूर और नृशंस दंड दिए जिसकी मिशाल इतिहास के पृष्ठों से कठिनाई से मिलती है। मुसलमानों के ऐसे ही आक्रमण के दबाव से चन्देल शासक भोज के कनिष्ठ भ्राता वीर विक्रम शाह  ने पूर्व में अपने लिए राज्य स्थापित करने की बात निश्चित की और उसने पूर्व की ओर सैन्य प्रयाण किया। इस समय गिद्धौर (बिहार) के बहेलिया राज्य में आंतरिक दुर्बलता आ गई थी। वीर विक्रम शाह  ने वहाँ के शासक निगोरिया पर आक्रमण कर 1266 ई० में   गिद्धौर में प्रथम चन्देल राज्य की पूर्ण प्रतिष्ठा की। 

                  परम् आदरणीय स्व० पं० गोरेलाल तिवारी जी ने अपनी पुस्तक  “जुझौतिया ब्राह्मणों के इतिहास की रूपरेखा” में स्पष्ट रूप से यह उद्धृत किया है कि बिहार प्रान्त में जुझौतिया ब्राह्मण सर्वप्रथम शायद आज से ६: सौ वर्ष पूर्व के लगभग आ बसे। इस  प्रान्त में उनका आदि निवास-स्थान  गिद्धौर ही था। तत्कालीन वार्डी के चंदेल शासक के अनुज वीर विक्रम शाह के आश्रय में जिझौतिया ब्राह्मण वहाँ पहुँचे थे। उन्होंने लिखा है कि वीर विक्रम शाह के पूर्वज महोबा के शासक थे। पृथ्वीराज चौहान से  पराजित हो वीर विक्रम के पूर्वजों ने महोबा छोड़ वार्डी में अपना राज्य स्थापित किया था। वीर विक्रम शाह बहुत से अनुयायियों  के साथ तीर्थ यात्रा को  बैजनाथधाम (वर्तमान देवघर, जिला-झारखण्ड) के लिए चल पड़े। निस्सन्देह वार्डी के शासक के इस छोटे भाई ने अपने साथ अनेक ब्राह्मण भी ले लिए थे। ये जुझौतिया ब्राह्मण ही थे और इन्होंने ही बिहार में पहले-पहल अपना घर बनाया। गिद्धौर से जिझौतिया ब्राह्मणों का फैलाव हुआ और वर्तमान में  वे बिहार – झारखंड के 100 गाँवों में बसे हुए हैं।

        पं० गोरेलाल तिवारी जी के स्वर्गवास हुए भी 70 वर्षों से अधिक बीत चुके हैं, ऐसी स्थिति में आज से 600 वर्ष + 70 वर्ष = 670 वर्ष पूर्व ही जिझौतिया ब्राह्मण बिहार में जा बसे। 2022 ई० में 670 वर्ष घटा दें तो 1352 ई० में जिझौतिया ब्राह्मणों का एक जत्था बिहार में जा बसा। हालाँकि पुस्तकीय प्रमाणों से  यह स्पष्ट है कि वीर विक्रम शाह 1266 ई० में यहाँ आए और गिद्धौर के प्रथम चंदेल शासक हुए। उनकी मृत्यु 1339  ई० में हो गई। 

           अब आप स्वयं विचार कर लें कि जब 1266 ई० में जिझौतिया ब्राह्मणों का एक दल बुन्देलखण्ड से  वीर विक्रम शाह  के  साथ  बिहार गया था तब राजा जुझार सिंह ( शासनकाल – 1627 ई० से 1634 ई० ) के दादा / परदादा भी पैदा नहीं हुए थे। 

नोट – मत भूलें कि सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री  ह्वेनसांग हर्षवर्धन के काल में भारत आया था। उसने अपने यात्रा विवरण (629 ई० से 645 ई०) में जुझौति प्रदेश को चिकोटी (ची -ची -टो ) नाम दिया। कनिंघम  के मतानुसार  “ची -ची -टो ”  ही जुझौति था। फारसी विद्वान अलबेरुनी (973  ई० से 1048  ई०) ने अपनी पुस्तक ” अलबेरुनी का भारत ” में कन्नौज से जजाहुति (जुझौति) राज्य की दूरी 30 फर्सख (120 मील ) बताया  था ।  जिझौतिया बंधुओं से अनुरोध है कि ऐसी भ्रामक और मनगढ़ंत कहानी को फैलाने में आप सहभागी न बनें। 

जहाँ यजुर्वेद की ऋचाओं से यज्ञ हवन किया जाए उस देश को यजुर्हुति या जुहौति कहते हैं। यजुर्वेदिक कर्मकांड करने वाले प्रबुद्ध ब्राह्मणों की बहुलता के कारण इस प्रदेश की प्रसिद्धि जुहौति के रूप में हुई और इस प्रदेश के नागरिक जुहौतिया (अपभ्रंश –  जिझौतिया) कहलाए।

संदर्भ पुस्तक :-

           1. ” जुझौतिया ब्राह्मणों के इतिहास की रूपरेखा ” लेखक – पं० गोरेलाल तिवारी।

           2. ” चन्देल और उनका राजत्व-काल ” लेखक – केशवचन्द्र  मिश्र।