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पंच गौड़ (संदर्भ जिझौतिया ब्राह्मण)

✍️ अजय कुमार मिश्र

 “जिझौतिया ब्राह्मण” विषय पर चर्चा के दौरान अक्सर लोगों को प्रश्न करते सुना है कि  पंच गौड़ में जिझौतिया ब्राह्मणों का उल्लेख क्यों नहीं है। आइए, आज इस विषय पर दो प्रामाणिक पुस्तकों में जो तथ्य उपलब्ध हैं उसपर गौर करते हैं –

1️⃣ R V Russell ने 1916 ई० में प्रकाशित अपनी पुस्तक “The Tribes And Castes Of The Central Provinces Of India” में ब्राह्मण जाति को 10 प्रमुख प्रादेशिक क्षेत्रों में विभाजित  करते हुए उसे पुनः दो समूहों – पंच गौड़ और पंच द्रविड़ में दर्शाया है। पंच गौड़ अंतर्गत उन्होंने प्राचीन शहर कन्नौज के नाम पर कन्नौजिया समूह में पुनः चार प्रमुख समूह – कन्नौजिया, जिझौतिया, सरवरिया और सनाढ्य को दर्शाया है। इस पुस्तक में देश (क्षेत्र) परत्व नामकरण को मान्यता दी गई है पर यह नहीं कहा गया है कि एक ही जाति से चार उपजातियाँ बनी हैं।

2️⃣ बिहार प्रान्तीय जुझौतिया ब्राह्मण सभा के प्रथम अधिवेशन (1946 ई०) जो जसीडीह ,देवघर ( संयुक्त बिहार,अब झारखंड) में हुआ था और इसके सभापति डॉ० आर.एच. रिछारिया जी थे इसमें जुझौतिया संसार के भीष्म पितामह पं० गोरेलाल तिवारी जी (विलासपुर) भी उपस्थित हुए थे। पं० गोरेलाल तिवारी जी ने अधिवेशन में कहा था कि इसके कई कारण हो सकते हैं। देश परत्व नामकरण के आंदोलन में शायद इन लोगों ने भाग नहीं लिया। अधिक उदार मनोवृति के कारण उन लोगों ने सर्वत्र स्वच्छन्द विचरण करने वाले आकाश के समान उदार ब्राह्मणों को देश की सीमा के अंदर सीमित करना उचित नहीं समझा। अथवा उपरोक्त ग्रंथों के रचयिताओं के आस – पास ये अधिक संख्या में नहीं थे। 【संलग्न पृष्ठ – 1,2,3】

      इस विषय में पं० गोरेलाल तिवारी जी ने कहा था “सदियों हमारे पूर्वजों ने देश परत्व नाम को स्वीकार नहीं किया। जिझौतिया ब्राह्मण, ” कात्यायन श्रोतसूत्र ” ग्रंथ में वर्णित जुहोतयः शब्द से ही  अभिहित होते रहे।”