मिश्र , वाजपेयी ; मिहरस गोत्र के जिझौतिया ब्राह्मण
अजय कुमार मिश्र
अन्य प्रचलित नाम – मेधस्य , मेधस , मेहरस।
आस्पद – 1. मिश्र 2. वाजपेयी
मिहरस गोत्र, मेधा ऋषि का अपभ्रंश है। पुराणों के अनुसार मन्वन्तर 14 हैं। स्वायम्भुव मन्वन्तर इनमें प्रथम हैं। स्वायम्भुव मन्वन्तर में स्वायम्भुव मनु के 10 पुत्र – आग्नीध्र, अग्निवाहु, विभु, सपन, ज्योतिष्मान, द्यतिमान,हत्य, मेधा, मेधातिथि और वसु थे। मेधा ऋषि शक्ति रहस्य के सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्राचीन ज्ञाता थे। वे असुर संहारिणी परमेश्वरी शक्ति (भगवती, दुर्गा) के रहस्यों के पूर्ण ज्ञाता तथा विख्याता थे ( दुर्गा सप्तशती, अo 1, श्लोक 10)। मेधा ऋषि गोत्र वाले मिश्र और वाजपेयी आस्पद के जिझौतिया ब्राह्मण यथार्थ ही बिहार-झारखण्ड में कुलीन समझे जाते हैं। झारखण्ड के गोड्डा जिला के पथरगामा प्रखंड अंतर्गत जिझौतिया ब्राह्मणों के प्रसिद्ध ग्राम बन्दनवार में मिहरस गोत्र के दोनों आस्पद – मिश्र और वाजपेयी के परिवार सदियों से निवास कर रहे हैं। बिहार-झारखण्ड के अन्य अनेकों जिझौतिया ब्राह्मण ग्रामों में मिहरस गोत्र के परिवार निवासरत हैं। अन्य प्रचलित नाम हैं – मेधस, मेधस्य,मेहरस। जिझौतिया ब्राह्मणों का यह मिहरस गोत्र काफी विशिष्ट है। यह गोत्र कान्यकुब्ज, सरयूपारिन और गौड़ ब्राह्मणों में नहीं है। यह गोत्र जिझौतिया, शकलद्वीपीय और श्रीमाली ब्राह्मण समाजों में है।
इन यज्ञ कर्ता तथा यज्ञ रक्षक (शक्ति के रहस्य ज्ञाता होने के कारण) गोत्रों से हमारा जुहोतयः होना प्रत्यक्ष सिद्ध है। मिहरस गोत्र के पाँच प्रवर हैं – मिहरस, कुशिक, कौशिक, काश और काश्यपेय।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अब मिहरस गोत्र के जिझौतिया ब्राह्मणों का एक भी परिवार नहीं दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वार्डी के चंदेल शासक के अनुज वीर विक्रम शाह जब 1266 ई० में तीर्थयात्रा के लिए बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर (वर्तमान देवघर जिला, झारखंड) गए थे उन्होंने अपने साथ अनेक जिझौतिया ब्राह्मण परिवार भी साथ लिए थे , संभवतः उसमें मिहरस गोत्र का पूरा का पूरा कुनबा शामिल रहा होगा जो वहीं बस गए।
जिझौतिया ब्राह्मण समाज में मिहरस (मेधा ऋषि) गोत्र के मिश्र और वाजपेयी आस्पद श्रेष्ठ ब्राह्मणों की श्रेणी में हैं।
संदर्भ पुस्तक –
- जिझौतिया ब्राह्मणों के इतिहास की रूपरेखा (लेखक – पं० गोरेलाल तिवारी)