जिझौतिया ब्राह्मणों की गोत्रावली
आस्पद (Title) – उपाध्याय :: गोत्र – शाण्डिल्य , सांकृत , भरद्वाज
उपाध्याय जिझौतिया ब्राह्मणों का एक उपनाम है। जिझौतिया ब्राह्मणों में उपाध्याय उपनाम अंतर्गत चार गोत्र – शाण्डिल्य, सांकृत, भरद्वाज एवं वत्स हैं। उपाध्याय उपनाम एवं शाण्डिल्य गोत्र का आदिस्थान बुन्देलखण्ड है। शांडिल्य गोत्र में तीन प्रवर – शाण्डिल्य, देवल और असित हैं। जिझौतिया ब्राह्मण अंतर्गत उपाध्याय उपनाम व शाण्डिल्य गोत्र का वेद –सामवेद , उपवेद –गांधर्व , शाखा –कौथुमी , सूत्र –गोभिल , छन्द –जगती, शिखा –वाम, पाद – वाम , देवता –विष्णु एवं कुलदेवता – गुसाईं बाबू हैं। इनके पूजा का समय भाद्रशुक्ल दोज है।
उपाध्याय जिझौतिया ब्राह्मणों का एक उपनाम है। जिझौतिया ब्राह्मणों में उपाध्याय उपनाम अंतर्गत चार गोत्र –शाण्डिल्य , सांकृत, भरद्वाज एवं वत्स हैं। उपाध्याय उपनाम एवं सांकृत गोत्र का आदिस्थान बुन्देलखण्ड है। सांकृत गोत्र अंतर्गत तीन प्रवर – सांकृत, किल और सांख्यायन हैं। जिझौतिया ब्राह्मण अंतर्गत उपाध्याय उपनाम व सांकृत गोत्र का वेद – यजुर्वेद , उपवेद – धनुर्वेद , शाखा – माध्यन्दिन , सूत्र – कात्यायन, छन्द – अनुष्टुप , शिखा – दक्षिण , पाद – दक्षिण , देवता – शिव एवं कुलदेवता – गुसाईं बाबू हैं। इनके कुल पूजा का समय भाद्रशुक्ल दोज है।
उपाध्याय जिझौतिया ब्राह्मणों का एक उपनाम है। जिझौतिया ब्राह्मणों में उपाध्याय उपनाम अंतर्गत चार गोत्र – शांडिल्य, सांकृत, भरद्वाज एवं वत्स हैं। उपाध्याय उपनाम एवं भरद्वाज गोत्र का आदिग्राम महजौली (माजौली) है जो बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य के हमीरपुर जिला में राठ तहसील अंतर्गत गोहाण्ड के निकट स्थित है। महजौली में “कालीमाई” का मंदिर है जो “महामाई” के नाम से प्रसिद्द है। भरद्वाज गोत्र में तीन प्रवर – भरद्वाज,अंगिरा और वार्हस्पत्य हैं। जिझौतिया ब्राह्मण अंतर्गत उपाध्याय उपनाम व भरद्वाज गोत्र के वेद – यजुर्वेद , उपवेद – धनुर्वेद , शाखा – माध्यन्दिन , सूत्र – कात्यायन, छन्द – अनुष्टुप , शिखा – दक्षिण , पाद – दक्षिण , देवता – शिव एवं कुलदेवता – गुसाईं बाबू हैं। इनमें कुल पूजा का समय भाद्रशुक्ल दोज है।